मन मेरिआ अंतरि तेरै निधानु है बाहरि वसतु न भालि।। जो भावै सो भुंचि तू गुरमुखि...

मानकु पाइओ रे पाइओ हरि पूरा पाइआ था।। मोलि अमोलु न पाइआ जाई करि किरपा गुरु...